Friday 15 April 2016

सादर वंदे !
       साथियों समय आ गया है कि अपनी अंतरात्मा को टटोलकर सही एवं गलत का न्यायोचित निर्णय लें। याद रहे कि असत्य को हमेशा व्याकुलता एवं भागदौड़ से गुजरना ही पड़ता है, ऊँची-ऊँची आवाजें लगाकर लोगों का ध्यान भटकाकर अपनी और आकर्षित करना इसका मूलमंत्र है। इतिहास गवाह है कि जो इन भटकाती एवं गगनचुम्बी आवाजों के फरेबी मकड़जाल में फंसा वह कभी बाहर का रास्ता नहीं तलाश पाया। बाबर ने ऐसा ही किया और परिणाम कितना व कैसा रहा कहने की शायद निहायत तो नहीं है। 

        शिक्षक वर्ग बुद्धिजीवियों की उच्चतम श्रेणी मे गिना जाता है। इनके विवेक को आंकना मूर्खता ही होगी। कार्य निष्पादन का मूल्यांकन आप से उचित कौन कर सकता है। कौन आप के हित तथा कौन पराहित मे अपनी ऊर्जा का ह्रास एवं संचित धन को अपने स्वार्थ मे संकलित कर रहा है यह आपकी पारखी नजरों से नहीं बच  सकता। आज चारों और असत्य ने हाहाकार मचा रखा है और लोग दबी कामना से ऐसी ही उम्मीद सत्य से लगा रहे है, तो आप ही बताये, क्या यह सम्भव है  कि सत्य भी असत्य का अनुसरण करे। नहीं  साथियों, ना तो कभी ऐसा हुआ है ना ही प्रकृति के अंत काल तक ऐसा सम्भव है। 

          युगों-युगों के अंधकार के बाद सवेरा होने लगा है इसे आप कैसे रोक सकते हैं । क्या उज्जास को स्वीकार करना आपकी फितरत नहीं है? सत्य को आगे बढ़ाना आपका दायित्व नहीं है? क्यों सत्य के आगमन की बाट जो रहे हो, आप स्वयं सत्य हो तो किसी सत्य को आप के द्वार तक दस्तक देने की आवश्यकता नहीं है। उठो जागो और सत्यता की राह को स्वयं बिना किसी दबाव तथा स्वार्थ के आगे बढ़ाओ, हम आप के साथ है।

राजाराम चौधरी एवं केविप्रशिसं परिवार
अध्यक्ष, केंद्रीय विद्यालय प्रगतिशील शिक्षक संघ 
केंद्रीय विद्यालय संगठन, जयपुर सम्भाग (राजस्थान)

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